बिलग्राम/हरदोई। ग्रामीण क्षेत्रों में इन दिनों अधिकतर घरों में गैस सिलेंडर और सरकार से मिलने वाला चूल्हा तो जरूर दिखाई दे जायेगा लेकिन वो शायद खाना पकाने के लिए नहीं बल्कि खाली घरों की जगह घेरने के लिए है,लेकिन महंगी गैस के चलते आज भी अधिकतर घरों में धुएँ वाले चूल्हे पर ही खाना पकाया जा रहा है। क्योंकि इन्कम कम और खर्च अधिक के चलते लोगों ने सिलेंडर को भरवाना अब बंद कर दिया है। खाना पकाने के लिए अब घरों के बच्चे लकड़ी व कंडे की तलाश में सुबह से ही घरों से निकल कर जंगलों से बीन कर लाते हैं तब शाम को उनके यहां खाना पकाया जाता है। बिलग्राम में रविवार को सुबह घर से लकड़ी की तलाश में निकले कुछ बच्चे दोपहर को अपने अपने सिरों पर लकड़ी का बोझ को उठाये क्षेत्र पंचायत कार्यालय की ओर से घरों की तरफ जाते दिखाई दिये,जब उनसे रोक कर कुछ पूछना चाहा तो खुद्दार बच्चे शायद इसलिए नहीं रुके कि कहीं हमारे कुछ कहने से घरों की कोई तौहीन न हो जाए। इस लिए वो हमारी बात को अनसुना कर आगे बढ़ते चले गये। गौरतलब है कि उज्ज्वला योजना के तहत सरकार की एक कोशिश थी कि महिलाओं को धुएं से निजात दिलाने के लिए हर घर तक गैस सिलेंडर पहुंचाने का प्रयास किया जाये, ताकि गरीब परिवार की महिलाओं को चूल्हे व लकड़ी को जलाने से निजात मिल सके लेकिन गैस की अब आसमान छूती कीमतों के चलते गरीब परिवारों को गैस सिलेंडर भरवाना मुश्किल हो रहा है। जिसके कारण अब फिर ग्रामीण लकड़ी जलाने के लिए मजबूर हो रहे हैं
कमरुल खान