उचित दाम न मिलने से खीरा उगाने वाले किसानों के चेहरे मुरझाये

नहीं निकल पा रही खेतो की लागत
पाली/हरदोई। लाकडाउन के बाद अन्नदाताओं ने बड़ी उम्मीद के साथ दिन रात हाड़तोड़ मेहनत कर अपने खेतों मे खीरे की फसल को तैयार किया, उनकी मेहनत भी रंग लाई, पैदावार भी अच्छी हुई लेकिन कम खपत के चलते उन्हे खीरे के वाजिब दाम नही मिल पा रहे हैंजिसकी वजह से किसानों के चेहरे की रंगत उड़ी हुई है।
सवायजपुर तहसील क्षेत्र के अंतर्गत एक बड़े क्षेत्रफल में किसानों द्वारा परंपरागत फसलों से हटकर कई वर्षों से लगातार करेले और खीरे की खेती जाती है जिससे उन्होंने अच्छा मुनाफा भी कमाया लेकिन इस बार लॉकडाउन से उबरने के बाद इलाके के किसानों ने बड़े ही अरमान और उम्मीदों के साथ दिन रात हाड़ तोड़ मेहनत कर फसल को तैयार किया। मौसम ने भी उनका साथ दिया और अच्छी पैदावार भी हुई इसके बावजूद इस बार कम खपत की वजह से बाहरी बाजारों में खीरे के दाम काफी कम हैं। जिससे किसानों की लागत भी नहीं निकल पा रही है भाहपुर गांव निवासी बृजकिशोर राजपूत बताते हैं कि पिछले वर्ष 5 किलो खीरे का दाम ₹120 था इस बार 5 किलो खीरा 30 से ₹35 में बिक रहा है। रहतौरा गांव निवासी राम कुमार का कहना है कि एक बीघा खेत में खीरे की फसल तैयार करने के लिए खाद बीज सिंचाई दवाई मजदूरी आदि पर ₹10000 की लागत लगानी पड़ती है और माल 4 से ₹5000 का निकल रहा है जिसे इस बार हम लोगों की लागत निकल पाना भी मुश्किल हो रहा है।

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