सुनहरे हजार दिन में होता है बच्चे का सही शारीरिक व मानसिक विकास
हरदोई।हर माँ व परिवार की यही चाहत होती है कि उनके आंगन में एक स्वस्थ बच्चे की किलकारी गूंजे।उनकी इस चाहत को साकार करने की चाबी उनके ही हाथों में है । इसके लिए जरूरी है कि बच्चे के शुरू के सुनहरे हजार दिन (गर्भ के 270 दिन और पहले दो साल के 730 दिन) को सही देखभाल व पोषण से इतनी मजबूती प्रदान कर दें कि वह उनके पूरे जीवन चक्र की शक्ति बनकर उनकी रक्षा कर सके । इसके लिए जरूरी है कि सबसे पहले गर्भवती के पोषण का खास ख्याल रखें ताकि वह एक स्वस्थ बच्चे को जन्म दे सके।
जिला महिला चिकित्सालय के बाल रोग विशेषज्ञ डा. पंकज मिश्रा का कहना है कि किसी भी बच्चे के पहले हजार दिन की सही देखभाल और पोषण ही उसके जीवन की मजबूत नींव का निर्माण करते हैं।इन दिनों में बच्चे का तेजी से शारीरिक व मानसिक विकास होता है।इतना ही नहीं, यह समय मस्तिष्क के तीव्र विकास का भी होता है, इसलिए सही पोषण इसमें भी महत्वपूर्ण पहलू निभाता है।इस दौरान उचित स्वास्थ्य, पर्याप्त पोषण, प्यार भरा व तनावमुक्त माहौल और सही देखभाल बच्चे के विकास में मददगार बनते हैं । इसीलिए इस समय माँ-बच्चे के सही पोषण और खास देखभाल की जरूरत होती है । इसके लिए जरूरी है कि गर्भवती रोजाना आयरन और विटामिन युक्त तरह-तरह के पोषक आहार का सेवन करें। दूध, तेल व आयोडीन युक्त नमक का इस्तेमाल करें । आईएफए की एक लाल गोली रोजाना, चौथे महीने से 180 दिन तक और कैल्शियम की निर्धारित खुराक लें । इसके अलावा एक अल्बेंडाजोल की गोली दूसरी तिमाही में लें । स्वच्छ पेयजल का ही इस्तेमाल करें । प्रसव पूर्व चार जांच अवश्य कराएँ ताकि कोई कमी हो तो उसे समय से दूर किया जा सके। संस्थागत प्रसव ही कराएँ क्योंकि इसी में माँ-बच्चे की पूर्ण सुरक्षा निहित है। व्यक्तिगत साफ़-सफाई व स्वच्छता का ख्याल रखें।खाना खाने से पहले और शौच के बाद हाथों को अच्छी तरह से साबुन-पानी से अवश्य धुलें व हमेशा शौचालय का ही इस्तेमाल करें।प्रसव के बाद धात्री महिलाएं भी इन बातों का ख्याल रखें।
डा. पंकज बताते हैं – जन्म के एक घंटे के भीतर स्तनपान जरूर कराएँ क्योंकि माँ का पहला पीला गाढ़ा दूध बच्चे का पहला टीका होता है । शिशु को शुरू के छह माह तक सिर्फ और सिर्फ मां का दूध पिलायें क्योंकि बाहरी कुछ भी चीज देने से संक्रमण का खतरा रहता है । बच्चे को जरूरी टीके भी अवश्य लगवाएं । मां अपने साथ बच्चे की विशेष स्वच्छता का ध्यान रखें । बच्चे के शौच का निपटान हमेशा शौचालय में ही करें । छह माह पूरे होने पर स्तनपान के साथ मसला हुआ और गाढ़ा पौष्टिक ऊपरी आहार देना शुरू करें, जिसमें दूध, तेल और आयोडीन युक्त नमक का इस्तेमाल करें । विटामिन ए की निर्धारित खुराक दें । पेट के कीड़ो से बचने के लिए 12 से 24 महीने के बच्चे को अल्बेंडाजोल की आधी गोली तथा 24 से 59 महीने के बच्चे को एक गोली साल में दो बार आंगनबाड़ी केंद्र पर दिलवाएं । बच्चे को आंगनबाड़ी केंद्र पर नियमित ले जाएँ और वजन कराएँ । बच्चे के बौद्धिक विकास के लिए पौष्टिक आहार उसकी उम्र के अनुसार आंगनबाड़ी व आशा कार्यकर्ता, एएनएम या चिकित्सक के बताये मात्रा के अनुसार देना सुनिश्चित करें ।