हरदोई ३१ अक्टूबर।हमारे धर्म में जितना महत्व यज्ञ को दिया गया है उतना और किसी को नहीं दिया गया। हमारा कोई भी शुभ-अशुभ कर्म यज्ञ के बिना सम्पन्न नहीं होता। जन्म से लेकर नामकरण, यज्ञोपवीत, विवाह आदि संस्कारों में हवन अवश्य होता है। अन्त में जब शरीर निष्प्राण हो जाता है तो उसे अग्नि को सौंप दिया जाता है।
शहीद उद्यान स्थित कायाकल्प केन्द्रम् में हवन संख्या २५०० पूर्ण होने पर आयोजित ‘यज्ञ विकासोत्सव’ में नेचरोपैथ डॉ राजेश मिश्र ने कहा हमारा शरीर भस्मान्तं शरीरम् है। यह अग्नि का भोजन है, इसलिए जीवन की नश्वरता को समझते हुए सत्कर्म के लिए शीघ्रता करें।
डॉ मिश्र ने कहा कायाकल्पकेन्द्रम् स्थित यज्ञशाला में कई वर्षों से नित्य हवन किया जाता है, उन्होंने कहा विशेष बात यह है कि सम्पूर्ण लॉकडाउन में भी हवन बाधित नहीं हुआ। दोनों समय हवन होता रहा। डॉक्टर राजेश ने कहा तीक्ष्ण बुद्धि और अच्छे स्वास्थ्य के लिए नित्य हवन करना चाहिए। यज्ञ करने वाला कभी दरिद्री नहीं रह सकता। कहा राजा दशरथ को यज्ञ द्वारा ही चार पुत्र प्राप्त हुए थे और महर्षि विश्वामित्र ने राजगद्दी छोड़कर यज्ञ की संस्कृति को अपनाया था। नित्य दोनों समय हवन करने वाले सुधा विद्यावाचस्पति और शिव कुमार को शाल ओढ़कर सम्मानित किया गया। इस अवसर पर डॉ श्रुति दिलीरे,रिंकी गुप्ता, अनन्या, आचार्य रमेश चंद्र शुक्ल,डॉ वीरेश शुक्ल, नंदकिशोर सागर,गोविंद गुप्ता,सोनू गुप्ता, अभिषेक पाण्डेय उपस्थित रहे।