गौशाला को पराली दो, बदले में खाद लो के तहत दो किसानों ने पराली की दान

कछौना/ हरदोई। विकासखंड कछौना के अंतर्गत गौशाला को पराली दो बदले में खाद लो के तहत कृषि विभाग कछौना के कमलेश कुमार बीटीएम व रोहित सिंह एटीएम के द्वारा किसानों को जागरूक किया गया। जिसके चलते दो किसानों ने गौशाला के लिए पराली दान की है।
              बताते चलें राष्ट्रीय हरित अधिकरण के तहत फसल के अवशेषों में आग लगाना दंडनीय अपराध है।इसके लिए दूसरे तरीकों से धान की पराली को उपयोग में लाया जा सकता है। धान की फसल की कटाई के बाद निकलने वाली पराली को जलाने से वायु प्रदूषण होता है। वायु प्रदूषण की रोकथाम के लिए सरकार ने बड़ा फैसला लिया है। खेतों में बचने वाली पराली को गौआश्रय केंद्रों पर भेजकर वहां से पराली के बदले में गोबर की खाद किसान ले सकते हैं। गौशालाओं में पराली का प्रयोग चारे के रूप में किया जाएगा।
इस योजना को जमीन पर उतारने के लिए कछौना क्षेत्र में कृषि विभाग ने कमर कस ली है। इसी के चलते कृषि विभाग कछौना के कमलेश कुमार बीटीएम व रोहित सिंह एटीएम ने क्षेत्र के किसानों के बीच पहुंच कर प्रचार प्रसार कर किसानों को जागरूक किया। जिसके चलते सोमवार को ग्राम पंचायत महरी के किसान विजय प्रकाश व पतसेनी देहात के किसान शिवपाल ने गौशाला को पराली दान की। दोनों कर्मचारियों ने किसानों के खेत से ट्रैक्टर ट्राली में पुआल भरकर ग्राम पंचायत समसपुर में बने गौ आश्रय स्थल में पुआल पहुंचा दिया है। उक्त कर्मचारियों ने बताया किसान ज्यादा से ज्यादा गौआश्रय स्थलों को पराली दें, इसे कदापि न जलाएं, क्योंकि पराली जलाना दंडनीय अपराध है। पराली के बदले में गौआश्रय स्थल से गोबर की खाद प्राप्त करें। गोबर की खाद से मिट्टी में वायु संचार बढ़ता है, जलधारण व जल सोखने की क्षमता बढ़ती है। मिट्टी में टाप का स्तर सुधरता है। पौधों की जड़ों का विकास अच्छा होता है। मिट्टी के कण एक-दुसरे से चिपकते हैं। भारी चिकनी मिट्टी तथा हल्की रेतीली मिट्टी की संरचना का सुधार होता है। वही रसायनिक खादों के प्रयोग से मनुष्य के स्वास्थ्य पर होने वाले दुष्प्रभावों पर भी अंकुश लगेगा।

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