“कमरुल खान”
बिलग्राम हरदोई।। रोजा रखने से अल्लाह की रज़ा तो हासिल होती ही है, रोज़ा के दौरान लोग इकट्ठे बैठकर खाते हैं। जिससे अमीर-गरीब की खाई पट भी जाती है। और आपस में भाई चारा बढ़ता है। रोजा रखने वालों में रहमदिली भी बढ़ती है।बुजुर्गों का कहना है कि चाहे हिंदू धर्म हो या इस्लाम सबमें ऐसे पर्व-त्योहार हैं जिनके वैज्ञानिक पक्ष भी हैं। प्राचीन काल में पहा़ड़ों की गुफाओं और कंदराओं में फकीर और संत भूखे प्यासे रहकर तपस्या करते थे। ऐसा वो इंद्रियों पर नियंत्रण के लिए करते थे । रोज़ा या व्रत रखने से हमारी इंद्रियाँ नियंत्रण में रहती हैं। इनपर धर्म की मुहर लग जाने से लोग ईमानदारी से इनका निर्वाह करते हैं।साथ ही साथ इसके जिस्मानी फायदे भी अनेक हैं।अंधविश्वास की बात अलग है परंतु धार्मिक कर्मकांडों की अपनी अहमियत होती है। अनेक ऐसे धार्मिक कर्मकांडों को विज्ञान ने भी अपनाया है और कई शोधों ने इन पर अपनी मुहर लगाई है। अभी कुछ साल पहले नवंबर 2016 में जापानी बायोलॉजिस्ट यवोशूरा ओसूमी को “नोबेल प्राइस फॉर मेडिसिन” दिया गया। वह कहते हैं कि इंसान जब भूखा रहता है और उसके जिस्म के न्यूट्रिएंट्स खत्म होने लगते हैं तो इंसान के जिस्म के सड़े-गले हिस्से को उसकी बॉडी खुद खाने लगती है इसे ओटोफुगी कहते हैं। और ऐसा 25 दिन करने से कैंसर होने के स्तर को कम या रोका जा सकता है तो पता यह चला है कि साल में 25 से 30 रोजा या व्रत रखने वालों को कैंसर होने का खतरा नहीं होता है। इसके अलावा डॉक्टर जोईलओशो अपनी किताब में लिखते हैं कि दुनिया के तमाम डॉक्टर इस बात पर एकमत हैं कि खाना पीना छोड़ देना बीमारियों को खत्म करने का एक तरीका है जब इंसान खाना पीना छोड़ देता है तो शरीर की बहुत सी बीमारियां खुद-ब-खुद जिस्म से बाहर निकल जाती हैं इसीलिए इस्लाम धर्म में वर्ष के 12 महीनों में एक महीना भूखा यानी रोजा रखना जरूरी बताया गया है। थाईलैंड के एक पादरी एल्फगाल डायबिटीज दिल और पेट एवं सांस की बीमारियों से पीड़ित मरीजों को 1 महीने का रोजा रखवाया, वह सब के सब स्वस्थ हो गए। ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर ममूर पोलैंड ने जब रोजे के बारे में सुना ,वह भी पेट में कीड़े की बीमारी से ग्रस्त थे। उन्होंने एक महीने तक के रोजे रखें और उन्हें भी कीड़ों की बीमारी से छुटकारा मिल गया। रोजा रखने से यकृत को आराम मिलता है और यह बाद में ठीक से काम करने लगता है ।वैध और हकीम यह बताते हैं के उपवास या रोजा रखना बीमारियों का एक बेहतरीन इलाज है। रोजा रखने से खून के लाल कणों में इजाफा होता है। कई शोधों से यह बात भी साबित हो चुकी है कि रोजा रखने से जिस्मानी खिंचाव, अवसाद, पित्त, लीवर व नमाज से पहले वजू करने से नाक, कान, आंख की बीमारियों से मुक्त मिल जाती है।