बिलग्राम मल्लावां विधानसभा, इतिहास के पन्नों में

कमरुल खान

बिलग्राम हरदोई। । मल्लावां बिलग्राम विधानसभा सीट, दो मशहूर कस्बों के नाम से जानी जाती है पहला मल्लावां और दूसरा बिलग्राम ये दोनों कस्बे राजनीतिक और साहित्यिक इतिहास से सराबोर हैं। पहला कस्बा मल्लावां अंग्रेजी हुकूमत में जिला मुख्यालय रह चुका है। और अठारह सौ सत्तावन से लेकर 1947 तक इस मिट्टी ने तमाम क्रांतिकारियों को जन्म दिया जो देश पर कुर्बान हुए जबकि दूसरा कस्बा बिलग्राम इल्मो फन के लिए जाना जाता है यहाँ पर भी मुगल बादशाह हुमायूं और शेरशाह सूरी के बीच युद्ध हुआ था दोनों कस्बे मुगल काल के के हैं ऐसा बताया जाता है।राजनीति की बात करें तो मल्लावां, बिलग्राम पहले दोनों अलग-अलग विधानसभा थीं लेकिन बाद में परिसीमन के चलते 2012 में बिलग्राम को मल्लावां विधानसभा से जोड़ दिया गया तब से इसको बिलग्राम मल्लावां विधानसभा कहा जाने लगा। पहले बिलग्राम विधानसभा में शहाबाद का कुछ हिस्सा हरपालपुर विकास खंड, भरखनी विकास खण्ड, सांडी विकास खण्ड की 39 ग्रामसभाओं के साथ बावन विकास खण्ड की दस ग्राम सभा को मिलाकर बनाई गयी थी जिसे 2012 में परिसीमन की वजह से अलग कर दिया गया। वैसे बिलग्राम विधानसभा पर सन 1952 से 1974 तक कांग्रेस का दबदबा रहा यहां पर पहले चंद्रहास मिश्र दो बार और बाद में कलारानी मिश्रा कांग्रेस से तीन बार लगातार विधायक बनकर विधानसभा पहुंचीं 1974 में जनता पार्टी के शारदा भगत ने कांग्रेस उम्मीदवार को हरा दिया और 1980 में फिर कांग्रेस ने बिलग्राम के हरिशंकर तिवारी को मैदान में उतार कर जीत हासिल कर ली जो 1989 तक कब्जे में रही 1989 में यहां पर पहली बार भारतीय जनता पार्टी को जीत मिली और गंगा भगत सिंह जीत कर विधानसभा पहुंचे जिसके बाद 1993 में सपा से बाबू विश्राम सिंह जीत गये 1996 में फिर बीजेपी ने सपा से सीट छीन ली 2002 में सपा ने बीजेपी को पटखनी देकर सीट फिर अपने नाम करली 2007 में बहुजन समाज पार्टी ने इस सीट पर अपना खाता खोला और युवा चेहरा उपेंद्र तिवारी चुनाव जीते हालांकि उनका जल्द ही बीमारी के चलते निधन हो गया जिसके बाद उनकी पत्नी रजनी तिवारी भी इसी सीट से चुनाव जीत गयीं 2012 में परिसीमन हुआ और बिलग्राम कस्बे को काट कर मल्लावां विधानसभा से जोड़ दिया गया तब से 159 को बिलग्राम मल्लावां विधानसभा कहा जाने लगा परिसीमन के बाद यहां पर पहली बार ब्रजेश कुमार वर्मा बहुजन समाज से विधायक हुए और 2017 में यहां पर बीजेपी ने जीत दर्ज की और आशिष सिंह आसू यहां के विधायक बने विकास की बात की जाये तो परिसीमन के बाद क्षेत्र में कोई खास विकास नहीं हुआ आज भी लोग मूलभूत सुविधाओं से वंचित हैं।

*क्षेत्र के प्रमुख मुद्दे*

*आवारा पशुओं से अब तक नहीं मिली निजात*

राजबहादुर सिंह – किसान नेता

(1)- इस समय जो सबसे बड़ा मुद्दा है वो छुट्टा जानवरो का है। अन्ना जानवरों ने किसानों की फसलों को चौपट कर रखा है किसान रातों को जागकर फसलों को बचाने के लिए दौड़ रहे हैं।इसके बावजूद भी उनकी फसलें नहीं बच पा रही हैं।

*बाढ़ की समस्याओं का हल अभी भी बाकी*

आरिफ नवाब – वरिष्ठ पत्रकार

(2)-बारिश के मौसम में इलाके में बाढ़ का खतरा बढ़ जाता है। हर साल हजारों बीघा फसल बाढ़ के पानी में डूब जाती है और सैकड़ों लोग घर से बेघर हो जाते हैं अभी तक किसी सरकार ने इस ओर ध्यान नहीं दिया है

*क्षेत्र में भू माफियाओं का बोलबाला*

सुशील कुमार – समाजसेवी

(3) क्षेत्र में भू माफियाओं का भी बोलबाला है एंटी भू माफिया कानून के बावज़ूद अभी भी दबंगों द्वारा जमीनें कब्जा की जा रही हैं भूमाफियाओं के बढ़ते दबदबे से किसान परेशान हैं हजारों बीघा रेलवे की जमीन को कब्जा किया जा चुका है गांव के पोखर और तालाब भी सुरक्षित नहीं बचे हैं ।

*वाहनों के बढ़ने से रोज नगरों में लगती जाम समाधान की जरूरत*

नफीस अहमद – पत्रकार

(4)- क्षेत्र में जिस तरह आबादी बढ़ी आवागमन के साधनों में भी खूब बढ़ोतरी हुई है। इसी का नतीजा है कि मल्लावां, बिलग्राम, माधौगंज, में आये दिन जाम के झाम से लोगों को गुजरना पड़ता है सरकार ने इन कस्बों में कही भी न तो बस स्टैंड बनवाया और न ही यात्री प्रतिक्षालय, कड़ी दोपहर हो या शर्द रात लोगों को खुले में ही वाहनों का इंतजार करना पड़ता सरकार को चाहिए कि जाम की समस्या और वाहनों के ठहरने की समुचित व्यवस्था सुनिश्चित करनी चाहिए।

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