छुरी का मातम कर गम जताया*
कमरुल खान
बिलग्राम हरदोई ।।दस मोहर्रम को आशुरे के दिन लगातार घरों और इमामबाड़े से या हुसैन, या हुसैन की सदायें गूंजती रहीं। लोग नंगे पैर काले लिवास में नजर आये बड़े इमामबाड़े में 32 कहार के बड़े ताजिया, तो मैदानपुरा में सफेद ताजिये की जियारत करने वालों का तांता लगा रहा।
जंजीरी छुरी के मातम के साथ सीनाजनी करते हुए रोते रहे।
मोहल्ला मैदानपुरा से दोपहर मे सफेद ताजिए का जुलूश बरामद हुआ जिसमें अंजुमन गुलामाने रसूल मे लोग नजराने अकीदत पेश कर नौहा खानी करते रहे या अली या हुसैन की सदाये गुजने लगी जिसमे सैय्यद बादशाह हुसैन वास्ती, यासिर हुसैन,फैजान मियां, गुफरान बिलग्रामी की सरपरस्ती मे बड़ी तादात मे लोग शामिल रहे। वही दूसरी ओर मोहल्ला सैय्यद वाड़ा से बड़ेइमामबाड़ा से एक मजलिस हुयी, उसके बाद तक़रीबन दोपहर 4 बजे 32 कहार के नाम से मशहूर बड़ा ताजिये का जुलूस बरामद हुआ। जैसे ही बड़ा ताजिया इमामबाड़े से बाहर आया चारों ओर या हुसैन, या हुसैन की सदायें बुलन्द हो गयीं। ताजिये में अन्जुमन अजाए हुसैन कदीम व अन्जुमन बज़्मे हुसैनिया कदीम नौहाखानी व सीनाजनी कर रही थीं। जैसे ही बड़े ताजिये का जुलूस आगे बढ़ा मातमदारों ने जंजीर व कमां का खूनी मातम शुरू कर दिया।
मातमदार पूरी तरह से खून से लहूलुहान नजर आ रहे थे। जुलूस गश्त करता हुआ करबला ( ईदगाह ) की ओर बढ़ रहा था लोग सिर से पैर तक खून से लथपथ थे। छुरी के मातम से सड़कें भी खून से लाल हो गयीं। ताजिया करबला के इमाम चौक पर पहुंचा उसके बाद फिर वापस बड़ा इमामबाड़े में आकर समाप्त हुआ। जूलूस मीसम जैदी , कल्लन मियां (ताजियेदार), कासिम जैदी आदि लोगो की सरपरस्ति में निकला ।