“तुमको हराने से पहले
मेरे देश की लड़कियां
किस-किस से भिड़ीं थीं”
हरदोई।ऑस्ट्रेलियाई हॉकी टीम की खिलाड़ियों ने हारकर भी देश के लोगों का मन जीत लिया है तभी तो उनके प्रति सम्मान और भी बढ़ गया है वास्तव में इन लड़कियों ने “सरस्वती उमेश”द्वारा इन उद्धरित पंक्तियों में सच्ची संवेदनाएं व्यक्त की हैं।
उन्होंने लिखा है कि
“सुनो! ऑस्ट्रेलियाई हॉकी टीम की खिलाड़ियों,तुमको हराने से पहले
मेरे देश की लड़कियां
किस-किस से भिड़ीं थीं।
तुम से भिड़ने से पहले वो भिड़ीं थीं,मेरे देश की पितृसत्तात्मक परंपराओं से,लड़ी थीं छोटी स्कर्ट पहनने के लिए,घर से बाहर निकलने के लिए
बाल कटवाने के लिए,
जिस समय वे अपने स्थानीय कोच के साथ
कर रही होती हैं हॉकी की प्रैक्टिस,घर में उनकी अम्माएं बैठी होती थीं प्रतीक्षा में,जूठे बर्तनों और बुझे चूल्हों के साथ
भाई ताक में रहते थे ताने देने के,और समाज उलाहने”
तुमको हराने से पहले
मेरे देश की काली,सांवली लड़कियों ने हराया था,
गोरे रंग की चाहत और
दागरहित चेहरे के आकर्षण को,
वो भाग आईं थीं घर से
जब उनको देखने के लिए लड़के वाले आने को थे,वो भाग आईं थीं घर से,
जब उनके घर वाले उनको
शादी का जोड़ा पहनाने वाले थे।
हो सकता है!तुमसे भिड़ने का तमगा पाने से पहले
वो भागी हुई,फंसी हुई, बिगड़ी हुई,बदचलन लड़कियों के तमगे से नवाजी गईं हों।
फिर भी उन्होंने खेला,
आमतौर पर छोटे शहर की लड़कियों के लिए वर्जित खेल,हॉकी खेला
शॉट मारे,गोल दागे,लड़कों की भांति
खुशी से चीखीं चिल्लाईं,
एक दूसरे से लिपटीं,गिरीं,घायल हुईं
और दोबारा उठकर
बॉल के पीछे भागने लगीं।
तुमको हराने से पहले
उन्होंने हराया लड़कियों के लिए बनाये गए लक्षणों को।