हरदोई।कारुणिक कल्याण समिति के तत्वावधान में सर्कुलर रोड स्थित नारायण नगर में चल रही श्रीमद भागवद कथा के पांचवे दिन शुक्रवार को वाराणसी से पधारे कथा व्यास प्रो राममूर्ति चतुर्वेदी ने बताया कि जब जब धर्म पर विपदा आती है तो उस विपदा को दूर करने के लिए तब तब भगवान का अवतार होता है।
पुराणों के अनुसार, भगवान विष्णु के दो भक्त जय और विजय शापित होकर हाथी व मगरमच्छ के रूप में धरती पर उत्पन्न हुए थे।पौराणिक कथाओं के अनुसार, गंडक नदी में एक दिन कोनहारा के तट पर जब हाथी पानी पीने आया तो मगरमच्छ ने उसे पकड़ लिया। फिर हाथी मगरमच्छ से छुटकारा पाने के लिए कई वर्षों तक लड़ता रहा। इसके बाद वामन अवतार प्रसंग में बताया कि हमारे पास जो है वह सब कुछ भगवान का ही है। भगवान की वस्तुओं को भगवान को समर्पित कर जीवन मुक्ति को प्राप्त कर सकता है। जिस प्रकार महाराज बलि ने सब कुछ भगवान वामन को समर्पित कर भगवान को ही प्राप्त कर लिया।मन को भगवान के चरणों में लगाना चाहिए, कर्म-सत्कर्म करना और वाणी को मधुर रखना चाहिए तभी हमारा जीवन सार्थक होगा। इसके पश्चात भगवान मत्स्य अवतार का वर्णन किया गया।राजा शरियाती की पुत्री सुकन्या और चमन का सुंदर संवाद वर्णन किया गया।चक्रवर्ती सम्राट राजा अंबरीश की भक्ति का वर्णन भी हुआ कि वे कैसे राजा होने पर भी स्वयं भगवान की सेवा में सदा तन्मय रहते थे। कैसे महर्षि दुर्वासा ने अंबरीश जी की परीक्षा ली। कब महर्षि दुर्वासा ने क्रोध को ही बुरी वासना कहा और कैसे अंत में महर्षि दुर्वासा को भी एक भक्त के सामने झुकना पड़ा।भगवान हमेशा अपने भक्तों की स्वयं रक्षा किया करते हैं।
कथा में यजमान डॉ पुष्पेंद्र शुक्ल,आलोक मिश्र,
सर्वदमन सिंह,अंकित काव्यांश,अभिषेक मिश्र,रामहरि दीक्षित, आदर्श अवस्थी,सज्जन अग्निहोत्री रहे।