पीएम आवास में रह रहे लोगों को भी नोटिस,
लेखपाल ने माफिक रिपोर्ट दी थी
हरदोई।नगर पालिका परिषद शाहाबाद ने 40 सालों से रह रहे गरीबों के ठिकानों को गैर कानूनी मानते हुए उन्हें बेदखली का फरमान जारी कर दिया है। ऐसे में उनका सरकार से एक ही सवाल है कि आखिर हर बार ग़रीब ही निशाना क्यों बनाए जाते हैं ?
नगर पालिका परिषद शाहाबाद का मोहल्ला सुलेमानी वार्ड नंबर-6 में करीब 40 सालों से रह रहे मज़दूरी पेशा इकबाल पुत्र अब्बू, वकार खां पुत्र अंसार खां,चंदू उर्फ पप्पू पुत्र इकबाल,मुजीम पुत्र मुख्तार,इशनाद पुत्र निसार व इज़हार पुत्र अय्यूब को नगर पालिका परिषद ने नोटिस जारी करते हुए कहा है कि उनके जो मकान भूखण्ड संख्या 6673 पर बने हुए हैं वह गैर कानूनी हैं। नोटिस में कहा गया है कि ऐसा करके उन्होंने नगर पालिका अधिनियम 1916 उ.प्र.नगरीय योजना विकास अधिनियम 1973 के तहत अपराध किया है। उन्हें इस बात की कड़ी हिदायत दी गई है कि भूखण्ड संख्या 6673 पर किए गए कब्ज़े को 7 दिनों के अंदर खाली कर दें, नहीं तो नगर पालिका परिषद खुद सरकारी ज़मीन को कब्ज़े से छुड़ाने के लिए अगला कदम उठाएगी। नोटिस आते ही इन निवासियों के चिंता समा गई है कि आखिरकार वे जाएं तो जाएं कहां ?
प्रधानमंत्री शहरी आवास योजना के तहत उन्ही लोगों को पात्र माना गया है कि जिनके पास अपनी ज़मीन हो। जिनको नोटिस जारी हुई है उन्ही लोगों में से नौशाद पुत्र अंसार और वकार पुत्र अंसार को प्रधानमंत्री आवास दिया जा चुका है। ऐसे में सवाल उठता है कि क्या आवास देने में खेल किया गया। जिस लेखपाल ने रिपोर्ट में कहा है कि भूखण्ड संख्या 6673 पर बने मकान गैर कानूनी है, तो प्रधानमंत्री आवास दिए जाने पर उसने इस सच्चाई को अपने अफसरों से क्यो छिपाया ? नौशाद और वकार दोनों प्रधानमंत्री आवास में रह रहे हैं। लोगों का कहना है कि अगर लेखपाल की कलम पहले ही यह सच्चाई उगल देती तो इन गरीबों को आज मुश्किलें वाला यह दिन नहीं देखना पड़ता।
शाहाबाद के मोहल्ला सुलेमानी वार्ड नंबर-6 मे भूखण्ड संख्या 6673 पर रहने वालों ने आरोप लगाया है कि लोगों से लेखपाल द्वारा रिश्वत मांगी गई थी।लेखपाल ने उनके माफिक ( जैसी पहली रिपोर्ट दी थी) रिपोर्ट देने के एवज़ में दो लाख रुपए मांगे थे। इन गरीबों ने मिल कर बमुश्किल जैसे-तैसे 80 हज़ार रुपए जुटाए भी, लेकिन लेखपाल ने इतने रुपए लेने से इंकार करते हुए कहा था कि अपना किया भुगतो।
शाहाबाद के मोहल्ला सुलेमानी में प्रधानमंत्री शहरी आवास योजना की आड़ में जो खेल खेला गया। उसने सरकार के ड्रीम प्रोजेक्ट पर सवाल खड़े कर दिए हैं। सवाल किया जा रहा है कि जैसा कि नगर पालिका परिषद का मानना है कि योजना के लाभार्थी नौशाद और वकार के मकान गैर कानूनी हैं। अगर इस तर्क को सही माना जाए तो यह भी माना जाना चाहिए कि प्रधानमंत्री आवास योजना में इसी तरह का लम्बा-चौड़ा खेल किया गया। सरकार ने ही सरकार को चपत लगाने का काम किया है।