November 12, 2025 2:42 am

इमाम हुसैन के गम में हुआ मातम, उठा सफेद और बत्तीस कहार ताजिया

बिलग्राम-दस मोहर्रम को आशुरे के दिन लगातार घरों और इमामबाड़े से या हुसैन, या हुसैन की सदायें गूंजती रहीं। लोग नंगे पैर काले लिवास में नजर आये। बड़े इमामबाड़े में 32कहार के बड़े ताजिया, तो मैदानपुरा में सफेद ताजिये की जियारत करने वालों का तांता लगा रहा। जंजीरी खूनी मातम के साथ सीनाजनी करते हुए छाती पीट-पीटकर जारोकतार रोते रहे।


मोहल्ला मैदानपुरा से दोपहर मे सफेद ताजिए का जुलूश बरामद हुआ जिसमें अंजुमन गुलामाने रसूल मे लोग नजराने अकीदत पेश कर नौहा खानी करते रहे या अली या हुसैन की सदाये गुजने लगी जिसमे सैय्यद बादशाह हुसैन वास्ती, यासिर हुसैन, वाजिद हुसैन,फैजान मियां,गुफरान बिलग्रामी की सरपरस्ती मे बड़ी तादात मे लोग शामिल रहे।
वही दूसरी ओर मोहल्ला सैय्यद वाड़ा से बड़ेइमामबाड़ा मे एक मजलिस हुयी, उसके बाद तक़रीबन दोपहर 4 बजे 32 कहार के नाम से मशहूर बड़ा ताजिये का जुलूस बरामद हुआ। जैसे ही बड़ा ताजिया इमामबाड़े से बाहर आया चारों ओर या हुसैन, या हुसैन की सदायें बुलन्द हो गयीं। ताजिये में अन्जुमन अजाए हुसैन कदीम व अन्जुमन बज़्मे हुसैनिया कदीम नौहाखानी व सीनाजनी कर रही थीं। जैसे ही बड़े ताजिये का जुलूस आगे बढ़ा मातमदारों ने जंजीर व कमां का खूनी मातम शुरू कर दिया।

मातमदार पूरी तरह से खून से लहूलुहान नजर आ रहे थे। जुलूस गश्त करता हुआ करबला(ईदगाह) की ओर बढ़ रहा था लोग सिर से पैर तक खून से लथ-पथ थे। खूनी मातम से सड़कें भी खून से लाल हो गयीं। ताजिया करबला के इमाम चौक पर पहुंचा उसके बाद फिर वापस बड़ा इमामबाड़े में आकर समाप्त हुआ। जूलूस मीसम ज़ैदी (अध्यछ इमामबाड़ा कमेटी ), कल्लन मियां (ताज़ियेदार), कासिम ज़ैदी, असलम खा (गोगा सभासद) जाफर हुसैन आदि लोगो की सरपरस्ति मे निकला जिसमे बड़ी संख्या मे लोग सामिल रहे।शामें गरीबां की मजलिस में रोये अजादार

बिलग्राम। बडे़ ताजिये के जुलूस के फौरन बाद बड़े इमामबाड़े मे शामें गरीबां की मजलिस अंजूमन अजाये हुसैन की जानिब से मुनक्किद हुयी। मौलाना नासिर हुसैन खा ने करबला में इमाम हुसैन अ0स0 की शहादत व उसके बाद उनके आल पर हुये जुल्मों को बयान किया। जिसको सुनकर वहां मौजूद अजादार जारोंकतार सरो व सीना पीट-पीटकर रोने लगे जिसके बाद फाका शिकनी का भी इंतजाम किया गया।

अब्बास की शहादत से रसूल का संदेश
बिलग्राम। अजादारों ने 10 मोहर्रम को मातम और मजलिस के साथ-साथ हुसैन के बताये हुए रास्ते (हक और इन्साफ) पर चलने का संकल्प लिया एवं अमन व सलामती की दुआयें की।

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