पर्यावरण प्रदूषित होने के साथ उर्वरा शक्ति कम हो जाती है
कछौना, हरदोई।राष्ट्रीय हरित न्यायाधिकरण एवं सर्वोच्च न्यायालय के सख्त निर्देश के बावजूद कछौना क्षेत्र में फसल के अवशेषों को किसान धड़ल्ले से आग लग रहे हैं। जिससे आग लगने की घटनाओं की संभावना हैं। वहीं पर्यावरण को नुकसान हो रहा हैं। वर्तमान समय में मक्का,धान की फसल ज्यादातर किसान श्रमिकों से न कराके कंबाइन मशीन से काटते हैं। जिससे फसल के अवशेष रह जाते हैं। इसमें किसान आग लगा रहे हैं। आग के विकराल रूप के कारण आग की घटनाओं की संभावना रहती हैं। फसल अवशेष को जलाने से वातावरण प्रदूषित होता है। मिट्टी के पोषक तत्वों की अत्याधिक क्षति एवं मिट्टी की गुणवत्ता पर असर पड़ता हैं। वही मिट्टी के हजारों की संख्या में कीड़े मकोड़े की आग में जलने से मृत्यु हो जाती हैं। इस आज की घटनाओं के कारण वायु की गुणवत्ता में कभी आंखों में जलन एवं त्वचा रोग व फेफड़े की बीमारी फैलती हैं। फसल अवशेषों को जलने से मृदा ताप में बढ़ोतरी होती है। जिसके कारण वातावरण पर विपरीत प्रभाव पड़ता है। लाभदायक मित्र कीट जलकर मर जाते हैं। पशुओं के चारे की व्यवस्था भी प्रभावित होती है। आसपास के खेतों में आबादी क्षेत्र में अग्निकांड होने की संभावना रहती है। तहसीलदार ने बताया की मौके पर टीम भेजकर जांच करते है। किसानों पर जुर्माना की कार्रवाई की जाएगी। साथ में पराली जलाने की घटनाओं की निगरानी राजस्व विभाग द्वारा कराई जा रही है।
रिपोर्ट – पी०डी० गुप्ता