हरदोई।साहित्यिक संस्था मां आशा फाउण्डेशन द्वारा हिन्दी पखवारे में साहित्यकार सम्मान समारोह एवं काव्य गोष्ठी का आयोजन किया गया।कार्यक्रम का शुभारंभ मुख्य अतिथि नगर पालिका अध्यक्ष सुखसागर मिश्र ‘मधुर’ व विशिष्ट अतिथि समाजसेवी धनञ्जय मिश्र ने दीप प्रज्ज्वलन व माँ शारदा के चित्र पर माल्यार्पण कर किया।
संस्था द्वारा राष्ट्रपति सम्मान से सम्मानित वरिष्ठ कवि चन्द्र प्रकाश द्विवेदी ‘मयंक’ को जनपद के स्मृतिशेष कवि जयशंकर मिश्र स्मृति सम्मान से व युवाकवि अंकित काव्यांश को स्व गिरीश्वर मिश्र स्मृति सम्मान से माल्यार्पण व स्मृति चिन्ह देकर सम्मानित किया गया। इस अवसर पर बोलते हुए मुख्य अथिति सुखसागर मिश्र ने कहा कि वर्तमान समय मे हिंदी के संवर्धन हेतु ऐसे कार्यक्रमो की महती आवश्यकता है।विशिष्ट अतिथि धनन्जय मिश्र ने जनपद के स्मृतिशेष कवियों की स्मृतियों को कवियों के सम्मान की परंपरा को सराहते हुए इसे समय की जरूरत भी बताया।सम्मान समारोह के बाद आयोजित कवि गोष्ठी का शुभारंभ कवि धीरज श्रीवास्तव की वाणी वन्दना से हुआ।वरिष्ठ कवि मनीष मिश्र ने ‘जागना तो पड़ेगा कभी न कभी’ व पवन कश्यप ने ‘एक पल बस ठहर लें चलो फिर चले।ख्वाब आंखों में भर ले चलो फिर चले’गीत पढ़कर समां बाँधा।गीतकार श्रवण मिश्र’राही’ ने ‘सिर्फ यादों का एक मंजर है,और दिन रात की कहानी है’गीत पढ़कर वाहवाही लूटी।अरविंद कुमार ने ‘उम्मीदें खत्म होने के लिए पाली नहीं जाती’ व धीरज श्रीवास्तव ने ‘सवालों पर भी बातें हो,शिवालों पर भी बातें हो।मगर भूखे गरीबों के निवालों पर भी बाते हो”कविता पढ़ तालियां बटोरी।ओज कवि रणविजय सिंह में’प्राण भी लूटा गए जो देश की सुरक्षा में,ऐसे शूर वीरों का बखान लिखता हूँ मैं”रचना पढ़ देशभक्ति की अलख जगाई।अभिनव दीक्षित की ‘जाग पाते अगर वक्त पर हम सभी,जागना तो पड़ेगा कभी न कभी” कविता सराही गई।वरिष्ठ कवि रामदेव बाजपेई ने’पतंगों की तरह उड़ते नही है,किसी संकेत पर मुड़ते नही है’गजल पढ़ समा बाँधा।उत्तम शुक्ल,दीपांशु शुक्ल व हर्ष त्रिपाठी ने भी काव्यपाठ किया।कार्यक्रम का संचालन अखिल त्रिपाठी ने किया।संस्थाध्यक्ष अजीत शुक्ल ने आये हुए अतिथियों का आभार व्यक्त किया।अध्यक्षता रविकांत त्रिपाठी जी ने की।
कार्यक्रम में संस्था संरक्षक श्याम जी मिश्र,पंकज अवस्थी,अध्यक्ष अजीत शुक्ल,विपिन त्रिपाठी,
गीतेश दीक्षित,वैभव शुक्ल,गुंजन मिश्र,विजय मिश्र,ऋषि मिश्रा, भोलानाथ मिश्र आदि रहे।