पापी पेट के खातिर भाई के साथ करतब दिखाने को मजबूर बच्चियां

पाली/हरदोई। सरकार भले ही बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ से लेकर अनेक योजनाएं चलाकर बेटियों को शिक्षित और सुरक्षित बनाने के दावे कर रही हो, लेकिन इसकी जमीनी हकीकत कुछ और ही बयां करती है। करतब दिखाकर कई मासूम लाडलियाँ अपनी गुजर बसर करने को मजबूर हैं।
अच्छे दिनों में पेट की खातिर खेल दिखाने वाली लाड़लियों ने शिक्षा को लेकर कहा कि पढ़ना तो दूर उसे तो स्कूल कभी सपनों में भी नजर नहीं आता।
पाली नगर के पशु चिकित्सालय के सामने  दोपहर में पेड़ की छांव के नीचे अपने भाई के साथ तीन बहने पापी पेट की खातिर पढ़ने लिखने की उम्र में खतरनाक करतब कर लोगो का मनोरंजन करती दिखी। लाडली बेटियों का करतब देख रहे लोगो को एक बार सोचने के लिए मजबूर कर दिया। गरीबी हटाओ, बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ, सर्व शिक्षा अभियान, शिक्षा का अधिकार, आदि अभियान चलाकर भले ही सरकार दावा कर अपनी पीठ थपथपा रही हो, लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और ही है। देखना है तो नगर की सड़कों पर नजर दौड़ा लीजिए, देखिए किस तरह मासूम लाडलियाँ मासूम बच्चे पढ़ने लिखने की उम्र में अपना और अपने परिवार का पेट भरने को मजबूर है। जिन लाड़लियों को स्कूल में पढ़ना लिखना चाहिए वो जान जोखिम में डालकर करतब दिखा रही है, हाथ में कटोरा लेकर लोगो से रुपये मांग रही हैं। बनारस के मिर्जापुर निवासी तारू उम्र 24 ने बताया कि वो अपनी 3 बहन कारू उम्र 13,अम्रिता उम्र 11 साल, नैना उम्र 8 साल के साथ कई सालों से मजबूरी में करतब दिखाने को मजबूर हैं,उन्हें सरकार की किसी भी योजना के बारे में नही पता,एक ठेली पर तीन बहनों के साथ वो गुजर बसर कर रहे हैं, दिन तो उनका करतब दिखाते दिखाते कट जाता है, लेकिन शाम होते ही उन्हें अपनी बहनों की चिंता सताने लगती है, कही पर सुरक्षित जगह देखकर ठेली के नीचे अपनी बहनों को लेकर सो जाते है, उनके पास ना जमीन है ना छत, दिन भर में 200 से 250 रुपये कमा लेते हैं जिससे गुजर बसर चल रही है, वही तारू की बहनों ने बताया कि उन्हें स्कूल, पढ़ाई लिखाई का क, ख भी नही मालूम है।

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