बीस वर्ष देश की सेवा कर दुनिया को अलविदा कह गये,फौजी सत्यम पाठक

मौत की दुखद खबर सुनकर मां बाप पर टूटा गमों का पहाड़
बिलग्राम/ हरदोई।पिछले बीस वर्षों से देश की सेवा कर रहे सत्यम पाठक ने अचानक दुनिया को अलविदा कह दिया।उनके निधन की खबर जैसे ही उनके पैतृक गांव पहुंची पूरे गाँव में शोक की लहर दौड़ गयी।लोगों को यकीन ही नहीं हो रहा था कि सत्यम पाठक अब इस दुनिया में नहीं रहे।
सत्यम पाठक हरदोई जिले की बिलग्राम तहसील के गांव बेहटीखुर्द के रहने वाले थे।उनके पिता बाबूराम पाठक का गांव के संभ्रांत व्यक्तियों में शुमार होता है। बताया गया है कि देश सेवा का जज्बा दिल में संजो कर सत्यम पाठक बचपन से ही सेना में भर्ती होना चाहते थे।
घर वालों के मुताबिक, सत्यम ने शुरूआती शिक्षा गांव में ही हासिल की और बाद में उन्होंने सदरपुर स्थित पंडित नेहरू इंटर कॉलेज से इंटर तक की पढाई पूरी की,वह यहां पर 1997 तक शिक्षारत रहे, इसके बाद पिता ने बेटे को जवान होता देख घर की ज़िम्मेदारियों का भार उनके कंधों पर डाल दिया और उनकी शादी भी उसी वर्ष कर दी गयी लेकिन जब दिल में ख्वाब देश सेवा के हों तो दुनिया की तमाम रंगीनियों उस ख्वाब के आगे बेकार हो जाती हैं। सत्यम ने सेना में भर्ती होने के लिये दिन रात एक कर दिया। सुबह उठ कर लंबी दूरी तक रेस करना और वापस आकर घर के अन्य कामों को निपटाना रोज़मर्रा का काम बन गया।सन 2000 में सत्यम की मेहनत रंग लाई और वो लांस नायक के पद पर भर्ती होकर सियाचिन और लद्दाख में देश की सेवा करने लगे।लगभग दो दशक तक सीमा से घर और फिर घर से सीमा पर आना जाना लगा रहा।हाल ही में वह होली की छुट्टी घर में परिवार के साथ मनाने गांव आये थे और छुट्टी खत्म होते ही फिर राजौरी की शर्द पहाड़ियों के बीच पहुंच गये, जहां का तापमान 30 डिग्री है।भाई शिवम पाठक ने बताया कि शनिवार को फोन कर सेना के एक अधिकारी ने बताया कि सत्यम पाठक की हार्ट अटैक से मौत हो गई है। ये खबर सुनते ही पूरे परिवार में मातम फैल गया। मां बाप पर मानों दुखों का पहाड़ टूट गया, पत्नी रामलली रोते रोते बेहोश हो गयी। घर पर परिवार को ढांढस बंधाने वालों का तांता लग गया। बताया गया है कि सत्यम पाठक के चार बच्चे हैं जिनमें दो पुत्र और पुत्री हैं सबसे बड़ी बेटी आकांक्षा है जिनकी उम्र 22 वर्ष है उसके अलावा  बिट्टू उम्र 17 वर्ष प्रिंस उम्र 15 वर्ष और छोटा बेटा राजा जिसकी उम्र दस वर्ष बताई गई है। समाचार लिखे जाने तक सत्यम का पार्थिव शरीर गांव नहीं पहुंचा, देर रात तक पहुंचने की संभावना जतायी गयी है।

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