कछौना, हरदोई।वन रेंज कछौना के अंतर्गत बड़े पैमाने पर क्षेत्र में मानकों को ताक पर रखकर सरकारी व प्रतिबंधित पेड़ों का कटान किया जा रहा हैं। जिससे पर्यावरण को काफी क्षति पहुंच रही है, जिम्मेदार वन माफियाओं को संरक्षक दे रहे हैं, जिससे उनके हौसले बुलंद हैं। जिसका जीता जागता उदाहरण शारदा नहर लखनऊ ब्रांच की बीच सूखी नहर में बड़े पैमाने पर 2014 में वृक्षारोपण तीन किलोमीटर क्षेत्रफल व सैकड़ों एकल में किया गया था। जिससे वहां का दृश्य काफी मनोहर था, परंतु जिम्मेदारों के संरक्षण के चलते वन माफियाओं ने डबल नहर पुल के पास से पटकुंईया तक सुखी नहर किलोमीटर संख्या 91 92 93 लगे पेड़ो में से 30 से 40 पर्सेंट हरे पौधों को आरा, कुल्हाड़ी से नष्ट कर दिया है। वहां पर उनके केवल ठूठ बचे हैं, जो इसकी हकीकत बयां कर रहे हैं। जिम्मेदारों के संरक्षण में हो रहे अंधाधुंध हरे पेड़ों के कटान के चलते मानव जीवन बुरी तरह प्रभावित है। इससे जहां प्राणवायु यानी ऑक्सीजन की कमी होने लगी है, वहीं मौसम का चक्र भी पूरी तरह बिगड़ गया। वायुमंडल में कार्बनडाइ ऑक्साइड की मात्रा बढ़ रही है। सांस लेना भी दुभर होता जा रहा है। बिगड़े वायुमंडल के चलते कई बीमारियों को बढ़ावा मिल रहा है। ऐसे में जिम्मेदारों को वृक्षों को सहेजने की तरफ बढ़ना होगा, ताकि न सिर्फ प्राणवायु का स्तर सुधारा जा सके, बल्कि पर्यावरण भी बचाया जा सके। पेड़ों की लगातार कटाई होने की वजह से दिन व दिन वन क्षेत्र घटता जा रहा है। यह न सिर्फ पर्यावरण की दृष्टि से चिंतनीय है, बल्कि जीवन के लिए भी घातक है। ऐसे में जदगी को बचाने के लिए पेड़ों को बचाना होगा, इसके लिए समाज के हर व्यक्ति को यह संकल्प लेना होगा कि हरे भरे वृक्ष न काटें व काटने वालों के खिलाफ पूरी ताकत से आवाज उठाएंगे, तभी इन वन माफियाओं से वृक्षों को बचाना शायद संभव होगा।
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