खुश्क तालाब में कीड़े भी नही रहते हैं, गणतंत्र दिवस पर मुशायरे का आयोजन

बिलग्राम/ हरदोई। गणतंत्र दिवस पर महफ़िल ए मुशायरा एवं कवि सम्मेलन का आयोजन नगर के मोहल्ला मैदानपुरा स्थित बाल कल्याण प्राथमिक स्कूल में किया गया, जिसमें मकामी शायरों के अलावा बाहर से आये कवियो ने भाग लिया और अपने अंदाजे बयां और लफ्जों की जादूगरी से श्रोताओं का दिल जीत लिया ये महफ़िल ए मुशायरा बिलग्राम के मशहूर शायर असगर बिलग्रामी के सरपरस्ती में हुआ जिसकी सदारत जुबैर संदीलवी ने की, कवि सम्मेलन का
आगाज ईश्वर की स्तुति कर इर्शाद कानपुरी ने सब का मान मोह लिया।
जिसके बाद मकामी शायरो ने अपने कलाम पेश किये।रात के लगभग ग्यारह बजे तक प्रोग्राम अपने शबाब पर पहुंच चुका था ,इसी बीच बाहर से तशरीफ लाये कमसिन शायर दावर संदीलवी ने अपनी रंगीन ग़ज़लों के माध्यम से लोगों को तालियाँ बजाने पर मजबूर कर दिया जिसके बाद ममता को दर्शाते हुए जुबैर संदीलवी ने कहा,
भीग जाती हैं मुझे देख के मां की पलकें,इस कदर मिलती है वालिद से सबाहत मेरी।
हुजूर बिलग्रामी ने पढा
अब्रहा ए वक्त से कह दो तकब्बुर छोड़ दे,
बारिशें संगे ग्रां होने को है मिनकार से।
खलील फ़रीदी ने अपने कलाम में पढा
चल दिया वो भी बुरे दौर में इतना कहकर,
खुश्क तालाब में कीड़े भी नहीं रहते हैं।
मुशायरे की बागडोर संभाले असगर बिलग्रामी ने कहा कि कि
आग गुलशन में कैसे लगाते भला,
हमको अपने ही सब आशियाने लगे।
इसके अलावा पवन कश्यप हरदोई, वैभव शुक्ला,अनिल कुमार, धर्मेंद्र कटियार, सतीश दिक्षित गंज मुरादाबादी आदि ने अपनी छंद, गीत, कविताओं और रचनाओं से ऐसा समा बांधा कि कड़ाके की ठंड के बावजूद मध्य रात्रि के बाद भी श्रोतागण गजलों, नज्मों, कविताओं और गीतों का आनन्द लेने के लिए अपनी अपनी कुर्सियों पर डटे रहे।

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