कमरुल खान
बिलग्राम हरदोई ।। शुक्रवार सुबह 8 बजे: हज़रत ख़्वाजा इमादुद्दीन चिश्ती रहमतुल्लाह अलैहि का 813 वा कुल शरीफ हज़रत सैय्यद उवैसे मुस्तफा वास्ती की सरपरस्ती में मुक्कमल हुआ जिसमें जेरे निगरानी हाजी नजमुल हसन की रही कुल शरीफ में खुशूशी तौर से सैय्यद फैजान मियां वस्ती,सैय्यद फैसल मियां वाहिदी,सैय्यद सालार मियां वास्ती, सैय्यद यासिर मियां वास्ती,ने शिरकत की सुबह बाद नमाज़ फजर कुरानख्वानी के बाद नातो मनकबत से ख़्वाजा की बारगाह में गुलहाये अकीदत पेश किये गये आपको बता दें कि ख़्वाजा इमादुद्दीन चिश्ती रहमतुल्लाह अलैहि को बिलग्राम के पाए के बुजुर्गों में शुमार किया जाता है।कहा जाता है कि आपने अल्लाह के मुकर्रब बंदे खिज़िर अलैहिस्सलाम से तालीम हासिल की हज़रत ख़्वाजा इमादुद्दीन चिश्ती रहमतुल्लाह अलैहि मिस्र के कस्बा इमरान के रहने वाले थे आप की जब पैदाइश हुई तो आप पैदा होते ही तीन बार अल्लाहु अकबर कहा आप की उम्र जब चार साल चार दिन की हुई तो आप के वालिद-ए-गिरामी सैय्यद हसन कुदसासिर्रहू तालीम के लिए आपको उस्ताद के पास लेकर गए ताकि बिस्मिल्लाह ख्वानी करवाए तभी ना गंहा हज़रत खिज्र अलैहस्लाम एक मौलाना की शक्ल में हाज़िर हुए और तख्ती लेकर आपको बिस्मिल्लाह ख्वानी करवाई जिससे ये पता चलता है कि आपका क्या मर्तबा है। कुल शरीफ होने के बाद ख्वाजा की चौखट के खादिम मौलवी फैज़ आलम को हज़रत उवैसे मुस्तफा वास्ती ने पगड़ी बांध कर ख्वाजा साहब की सारी जिम्मेदारियां दी और हाजी नजमुल हसन ने खिलाफत से नवाज़ा जिसके बाद लंगर तकसीम कर उर्स का समापन हुआ इस दौरान आशिकाने कमेटी के सभी मेम्बरान मौजूद रहे।