कवि सम्मेलन में कवियों ने अपनी रचनाओं से बांधा शमां
हरदोई।ऐतिहासिक नुमाईश मेला में आयोजित अखिल भारतीय कवि सम्मेलन में कवियों ने अपनी रचनाओं से ऐसा शमां बांधा कि श्रोतागण सुबह चार बजे तक अपनी कुर्सियों पर डटे रहे।कार्यक्रम का शुभारंभ मुख्य अतिथि पूर्व जिला पँचायत अध्यक्ष मुकेश अग्रवाल,नगरपालिका अध्यक्ष सुखसागर मिश्र मधुर व आयोजक राम प्रकाश शुक्ल ने मां शारदा व एवं पुण्यात्मा स्व हरि बहादुर श्रीवास्तव के चित्र पर माल्यार्पण व दीप प्रज्ज्वलन कर किया।कवि सम्मेलन की शुरुआत आगरा से पधारी कवयित्री योगिता चौहान की वाणी वंदना से हुई।लखनऊ से आये ओज कवि प्रख्यात मिश्र ने “घर में रखा मिर्च मसाला ,तेल मंगा लो मोदी जी,लेकिन पहले सौ दो सौ राफेल मंगा लो मोदी जी।”अपनी रचना पढ़ तालियां बटोरी।कानपुर से आये हास्य कवि हेमन्त पाण्डेय ने”डर है कहीं वो अपमान न कर दे, दिल को हमारे दालान न कर दे। तुमसे मिलने आना चाहता तो हूँ ,पर रस्ते में पुलिस कहीं चालान न कर दे।।कविता पढ़ श्रोताओं को खूब हंसाया।दिल्ली से आई कवयित्री कल्पना शुक्ला का संवेदना गीत “मम्मी बीच ही में बन्द क्यों पढाई कर दी, अभी मेरी क्या उमर थी सगाई कर दी “गीत काफी सराहा गया।अम्बेडर नगर से आये ओज कवि अभय निर्भीक ने देशभक्ति से ओतप्रोत रचना”भारत माता का हरगिज़ सम्मान नहीं खोने देंगे,अपने पूज्य तिरंगे का अपमान नहीं होने देंगे”पढ़ वाहवाही लूटी।संयोजक हास्य कवि अजीत शुक्ल ने चुनावी माहौल पर तंज कसते हुए अपनी रचना पढ़”साधु जैसी छवि से मिलेगा लाभ,इस हेतु हिरण की खाल में सियार घूमने लगे,एक बार हमको जिता दो कह कहकर सिंह मेमनों के भी चरण चूमने लगे”पढ़ श्रोताओं को गुदगुदाया।मथुरा से आये ओज कवि मनवीर मधुर ने “फ़ौलादी सीना रखते, सबमें हिम्मत भर जाते हैं।सारी दुनियाँ गर्व करे, वो कुछ ऐसा कर जाते हैं”भिड़ जाते जो स्वयं मौत से, ज़िन्दा रहते सदियों तक,संकट से डर जाने वाले, जीते जी मर जाते हैं”कविता पढ़ तालियां बटोरी।बाराबंकी से आये गीतकार गजेंद्र प्रियांशु के गीतगजेंद्र प्रियांशु”जैसे तैसे उमर बिता ली मैंने तेरे प्यार में,रात रात भर तुमको गाया सुबह छपे अख़बार में।”पर श्रोता जमकर झूमे।इलाहाबाद से आये व्यंग्यकार राधेश्याम भारती ने “फरमाइश पर फरमाइश जीने नहीं देती है,करवाचौथ का वॖत रखकर मरने भी नहीं देती”कविता पढ़ श्रोताओं को लोटपोट कर दिया।उदयपुर से आये हास्यकवि कमल मनोहर”मोदी और योगी की मुखरता से यदि मंदिर बना,तो नरसिंह के मौन ने ढांचा ढाया था”कविता पढ़ हंसाया।आगरा से आई श्रृंगार की कवयित्री योगिता चौहान ने तालियां बटोरी।फर्रुखाबाद से आये संचालक शिवओम अम्बर ने ” राजभवनों का सफर अच्छा लगा।फिर मुझे अपना ही घर अच्छा लगा।” रचना पढ़ कवि सम्मेलन को विराम दिया।कार्यक्रम में कृष्ण अवतार दीक्षित,प्रीतेश दीक्षित,वियोग चन्द्र मिश्र,बीडी शुक्ल,मनमन श्रीवास्तव आदि रहे।