कुल और लंगर के बाद उर्स ए वाहिदी जाहिदी का हुआ समापन

बिलग्राम हरदोई :- नगर के मोहल्ला सुल्हाडा स्थिति सूफी बुजुर्ग मीर अब्दुल वाहिद बिलग्रामी की शान में मुनक्किद उर्स वाहिदी जाहिदी का रविवार दोपहर दो बजे समापन हो गया पीर ए तरीक़त रहबरे राहे शरीयत हज़रत सैय्यद हुसैन अहमद हुसैनी मियां की ज़ेरे सरपरस्ती में दो दिवसीय कार्यक्रम बिलग्राम नगर के मोहल्ला सुल्हाड़ा की बड़ी मस्जिद में आयोजित किया गया था

शनिवार शाम 4बजे से उर्स के कार्यक्रमों की शुरुआत हुई थी जिसमें हजरत सय्यद हुसैन मियां ने पीर सय्यद मीर अब्दुल वाहिद रहमतुल्लाह अलैहि की दरगाह पर चादरपोशी की।जिसमें बड़ी संख्या में उनके साथ उनके अनुयायी शामिल हुए।बाद नमाज़े ईशा महफ़िल ए मीलाद सजाई गई।जिसमें देश के विभिन्न राज्यों से आए हुए ओलेमा व शोहरा ए किराम तशरीफ़ लाये।जिन्होंने लोगों को सीधे रास्ते पर चलने की बातें बताई। जिस रास्ते पर सूफी और बुजुर्ग चल कर पूरी जिंदगी कौम और समाज की भलाई के लिए कार्य किये, जिनका आज भी नाम लिया जा रहा है।

शनिवार रात बाद नमाज़ ए इशा कार्यक्रम की शुरुआत कुरआन की पवित्र आयतों से की गयी ।जिसकी शुरुआत मौलाना शहाबुद्दीन मिस्बाही ने की जलसे का संचालन इमरान हबीबी के द्वारा हुआ।जिसके बाद मोरसिस से आये मुफ्ती गुफरान रजा ने खिताब किया और इस्लाम के तौर तरीकों से जिंदगी गुजारने पर बल दिया उसके बाद मुफ्ती राहत रजा बरेली, सूफी साबिरुल कादरी फैजाबादी मुफ्ती इंतजार अहमद रिज़वी पीलीभीत आदि ने तकरीर की बीच बीच में महफिल का मिजाज बदलने के लिए नात ख्वांनी भी होती रही जिसमें शमीम इलाहाबादी, कलीम दानिश कानपूरी, अली अहमद शाहजहांपुरी ने अपने अपने अंदाज़ में कलाम पेश किए और खूब वाहवाही लूटी। जलसे मे इतवार की सुबह 9 बजे नातिया कलाम पढ़ा गया।

दोपहर 2 बजकर 10 मिनट पर पीर सैय्यद मीर अब्दुल वाहिद बिलग्रामी का कुल शरीफ़ हुआ।जिसमें सभी लोगों ने दुआ के लिये हाथ उठाये और मुल्क में अमन चैन की दुआएं मांगी ।हज़रत हुसैन मिंया ने कार्यक्रम के अंत में आये हुए सभी लोगों का तहे दिल से शुक्रिया अदा करते हुए आये मुरीदों, जायरीन को संदेश दिया। अंत में दरूद ओ सलाम पढा गया इसी दौरान एक अजीब बात देखने को मिली

स्टेज पर मौजूद शाह सुथरे मियाँ बिलग्रामी रहमतुल्लाह अलैहि के खलीफा कारी अमानत रसूल ने माइक पकड़ा और अपने पीर का एक चमत्कार बताया उन्होंने कहा कि जो शख्स आपके सामने माइक पर सलात ओ सलाम पढा रहा था वो मोहम्मद रसूल हैं इनके पैदा होने से पहले ही शाह सुथरे मियाँ ने दुआ की थी और कहा था कि एक बेटी के बाद आपका एक बेटा होगा वो भी मेरा मुरीद व खलीफा होगा और ऐसा ही हुआ पहले बेटी पैदा हुई और उसके बाद मोहम्मद रसूल बेटा पैदा हुआ आज आपके सामने वही जवान बेटा खड़ा है। जो शाह सुथरे मियाँ की दुआओं का असर है। अल्लाह के वली जिसके हक में दुआ करते हैं वो पूरी होती है।इस चमत्कार को सुनकर मौजूद महफ़िल में खुशी की लहर दौड़ गयी। बाद में शीरीनी और लंगर तकसीम किया गया। और आये जायरीन अपने अपने घर को रवाना हुए।

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