प्रधान और सचिव के हाथों की कठपुतली बने वार्ड सदस्यों को नही है अपने अधिकारों और कर्तव्यों की जानकारी

प्रधान और सचिव के हाथों की कठपुतली बने वार्ड सदस्यों को नही है अपने अधिकारों और कर्तव्यों की जानकारी
प्रधान और वार्ड सदस्यों का है एक जैसा काम दोनो है निर्वाचित जनप्रतिनिधि
पाली,हरदोई।इस समय त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव अपने पूरे शबाब पर है एक तरफ जहां विभिन्न पदों पर काबिज होने को बेताब प्रत्याशियों द्वारा अपने पाले को मजबूत करने के लिए रात दिन कड़ी मशक्कत कर वोटरों की ख्वाहिश और फरमाइश का अच्छा खासा ख्याल रखा जा रहा है वही ग्राम पंचायत की रीढ सबसे छोटे संवैधानिक पद वार्ड सदस्य के लिए खड़े प्रत्याशियों में कोई खास उत्साह दिखाई नहीं दे रहा है।कहने को तो जो स्थान संसद और विधानसभा में सांसदों और विधायकों का होता है वही स्थान गांव की सरकार में वार्ड सदस्यों का होता है एक संवैधानिक प्रक्रिया के तहत ग्राम प्रधान और वार्ड सदस्यों का चुनाव एक साथ होता है ग्राम प्रधान एक होता है जबकि वार्ड सदस्य ग्राम पंचायत के अलग-अलग मोहल्ले से निर्वाचित होकर आते हैं वार्ड सदस्य अपने वार्ड के लोगों के साथ बैठक कर नाली खड़ंजा लाइट साफ-सफाई स्वास्थ्य आदि के बारे में बैठकर चर्चा करने के बाद ग्राम पंचायत की होने वाली बैठकों में प्रस्ताव पास कराकर विकास कराने की जिम्मेदारी सदस्य की होती है लेकिन अपने अधिकारों और कर्तव्यों का बोध न होने की वजह से ग्राम सभा के विकास के नाम पर तैयार होने वाले प्रस्ताव वार्ड सदस्यों की जानकारी के बगैर ग्राम सचिव और प्रधान की मिलीभगत के चलते उनके फर्जी हस्ताक्षर कर प्रशासनिक पटल पर पहुंच जाती है पंचायती राज विभाग भी बगैर जमीनी हकीकत जाने काजी दस्तावेजों पर ही अपनी मोहर लगा देता है जिसकी वजह से निर्वाचित वार्ड सदस्य पूरे कार्यकाल तक प्रधान और सचिव के हाथों की कठपुतली मात्र बनकर रह जाते हैं।

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