भक्ति के क्षेत्र में प्रवेश की प्रक्रिया है श्रीमद् भागवत महापुराण -आचार्य सतगुरु शरण

माधौगंज /हरदोई।फूलमती देवी मंदिर में चल रही श्रीमद भागवत महापुराण कथा के तीसरे दिन अयोध्या धाम से पधारे सतगुरु शरण जी महाराज ने भक्तों को कथा श्रवण करते हुए कहा कि
श्रीमद्भागवत महापुराण भक्ति का ग्रंथ है देव ऋषि नारद की प्रेरणा से भगवान व्यास देव ने अठारहवें महापुराण के रूप में इसकी रचना की है।
उन्होंने बताया कि भक्ति के क्षेत्र मे प्रवेश करने के लिए इस ग्रंथ का सेवन करना चाहिए। ध्रुव चरित्र ,प्रह्लाद और अजामिल की कथा सुनाई, जिसमें अजामिल की कथा सुनाते हुए बताया कि अजामिल महान पातकी था।  ब्राह्मण होने के   बाद भी हिंसा करता था। एक वेश्या से सम्बंध बनाकर रखा था जिससे उसने कई पुत्र उत्पन्न किए। एक संत के कहने से इसने छोटे बेटे का नाम नारायण रखा। नाम के प्रभाव से जीवन के अंतिम क्षणों में उसने नारायण के नाम का स्मरण करके भगवान विष्णु के धाम की प्राप्ति की। आज कल भौतिक युग में लोग भगवान की कथा एवं उनके नाम का उपहास करते हैं इसीलिए लोग भी दुखी हैं सब के पास धन है शांति कहीं नहीं है। पूजा सबके पास है प्रेम कहीं नहीं है दान सब लोग कर रहे हैं।इस कथा में प्रमुख रूप से  रामअवतार गुप्ता, अमित गुप्ता ,विनय गुप्ता, आनंद गुप्ता, हीरालाल, बेदूू गुप्ता, दिनेश गुप्ता, हिमांशु गुप्ता, शिवम गुप्ता आदि भक्तगण शामिल रहे।

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