कछौना/हरदोई। विकासखंड कछौना के अंतर्गत संचालित ईंट भट्ठों पर दस से 14 वर्ष के बच्चों का खुलेआम शोषण किया जा रहा है। जिससे राष्ट्र के भविष्य निर्माताओं का जीवन ही समाप्त हो रहा है। जबकि शिक्षा के अधिकार अधिनियम के तहत 14 वर्ष की आयु के बच्चों को निःशुल्क शिक्षा प्रदान करने का अधिकार प्राप्त हैं। बाल श्रम पर पूर्णतः पाबंदी होने पर भी जिसके क्रियान्वयन के लिए श्रम विभाग की स्थापना की गई, परंतु सुविधा शुल्क के आगे श्रम विभाग के अधिकारी कोई भी कार्यवाही नहीं कहते हैं। जिससे नौनिहाल बच्चों का भविष्य ही नहीं दिखाई पड़ रहा है। नाम न छापने की शर्त पर भट्टे के मजदूर ने बताया कि मुझे दिन रात मेहनत के बजाय 50 से 100 रुपये से अधिक नहीं मिलते हैं। कड़ाके की इस शीतलहर में प्रातः 7:00 बजे से समय 10:00 बजे रात तक कार्य करने पड़ते हैं। न करने पर पिटाई व जानमाल की भट्ठा संचालक धमकी देते हैं। न तो समय पर खाना मिलता है, न ही समय पर सो पाते हैं। इन भट्ठा संचालकों ने गरीब बच्चों को बंधुआ मजदूर से भी बदतर जीवन यापन करने पर विवश कर रहे हैं। बाल श्रमिकों की सबसे अधिक दयनीय स्थिति है। जिन बाल श्रमिकों का बचपन एवं होठों पर मुस्कान होनी चाहिए परंतु ऐसा नहीं है, जो राष्ट्र निर्माण के हित में नहीं है। क्षेत्र में बच्चों को चंद रुपयों की खातिर यह अधिकारी मासूम बच्चों से खिलवाड़ होते देखते रहते हैं। कभी भी किसी प्रकार कार्यवाई नहीं करते, जिससे इन भट्ठा संचालकों के हौसले बुलंद हैं। इस ज्वलंत समस्या को लेकर जय हिंद जय भारत मंच जिला प्रशासन से शिकायत कर इन नौनिहाल बच्चों के भविष्य को बचाने की मांग की है।
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