गरीबों का खून चूसकर काले कारोबार से जुटाई अकूत संपत्ति
करोड़ो की चल अचल संपत्ति और लक्जरी कारों का मालिक बना मामा
जिम्मेदारों के दुलार से बिन व्यापार बन गया धनकुबेर
अरविंद तिवारी
हरदोई। । शहर में सट्टे का काला कारोबार चलाने वाला कौशल गुप्ता मामा महज चंद सालों में जिम्मेदारों की मेहरबानी से करोड़ो का मालिक बन गया।कभी पान की गुमटी लगाने वाले मामा ने कुछ साल पहले ईमानदारी के धंधे को छोड़ दिया था।जिसके बाद वह गरीबों,मजलूमो,मजदूर पेशा लोगों और युवाओं को चूना लगाने में जुट गया।मामा ने शहर में सट्टे के काले कारोबार की नींव रखी।दिनो दिन उसका काला कारोबार बढ़ता गया और फिर कुछ सालों में ही वो करोड़ो की चल और अचल संपत्ति का मालिक बन गया।हालांकि इसमें चालाकी मामा ने यह की कि संपत्ति अपने परिवार के लोगों के नाम खरीदी।आज उसके पास शहर के पाश इलाके में बेशकीमती 4 मकान,तमाम आवासीय प्लाट समेत कई करोड़ों की संपत्ति है।
लोग बताते हैं कि आज के कुछ साल पहले रेलवेगंज में रेलवे स्टेशन के निकट कौशल गुप्ता मामा पान की गुमटी लगाकर अपने परिवार की जीविका चलाता था।कहते हैं कि तरक्की के लिए पढ़ना लिखना बहुत जरूरी है लेकिन मामा पढ़ा लिखा तो था नहीं लेकिन जल्द अमीर बनना चाहता था।जल्द अमीर बनने की चाहत में कौशल गुप्ता मामा ने शॉर्टकट अपनाया और जरायम की दुनिया का रास्ता अख्तियार किया।लोगों को पान में कत्था और चूना लगाकर उनको स्वाद देने वाला मामा सट्टे के काले कारोबार में उतर गया और आम जनमानस को ही चूना लगाने लगा।सूत्र बताते हैं कि सबसे पहले मामा ने जिंदपीर चौराहे से अपने सट्टे के इस काले कारोबार की बुनियाद रखी थी,जिसके बाद रेलवेगंज,नई बस्ती,अरुणा पार्क,गिप्सनगंज,डाक बंगला चौराहा,झबरापुरवा,आजादनगर, धर्मशाला रोड,लखनऊ चुंगी,कांशीराम कालोनी समेत शहर के तमाम जगहों पर मामा ने सट्टे का काला कारोबार शुरू कर दिया और अपनी जड़ें मजबूत कर लीं।ऐसा नहीं कि मामा जब अपने काले कारोबार को गति दे रहा था तो जिम्मेदारों को पता नहीं था बल्कि कुछ जिम्मेदार उसके आगे नतमस्तक थे तो कुछ ने बखूबी अपना फर्ज निभाया और समय-समय पर उसके काले कारोबार पर अंकुश लगाने की कोशिश भी की और कड़ी कार्रवाई भी की।
ईमानदार पुलिस अफसरों की कार्रवाई का मामा पर ज्यादा दिनों तक फर्क नहीं पड़ा हालांकि उसने कुछ समय के लिए अपना अवैध धंधा जरूर बंद कर दिया था।तत्कालीन एसपी अनुराग वत्स ने शिकायतों के बाद मामा के काले कारोबार पर अंकुश लगाया था, उनके जिले में रहने तक उसका कारोबार बंद रहा लेकिन जैसे ही उनका तबादला हुआ मामा अपने धंधे में फिर से लग गया।कुछ जिम्मेदारों के साथ गठजोड़ मामा को यहां तक ले आया और चंद सालों में ही वह करोड़ों की संपत्ति का मालिक बन गया।मामा पढ़ा लिखा तो था नहीं लेकिन होशियारी उसकी रंग रंग में थी।उसने गरीबों का खून चूस कर करोड़ों रुपया कमाया लेकिन प्रॉपर्टी अपने परिवार के लोगों के नाम खरीदी ताकि मामा पर कोई सीधी उंगली ना उठा सके।ऐसे में जिम्मेदारों के रहमों करम पर मामा का धंधा खूब फला फूला और चंद सालों में ही मामा और उसका परिवार बगैर किसी व्यापार के करोड़ों की अकूत संपत्ति का मालिक बन गया।
कौशल गुप्ता मामा ने खुद अकेले ही काले कारोबार की शुरुआत की थी लेकिन धीरे-धीरे उसने अपना गैंग बनाया।जिसमें उसने मोनू पाल,टुनटुन,सुनील,राजू और भूरी को शामिल किया।फिर मामा की सरपरस्ती में कारोबार की मंडी सजने लगी।यही नहीं ग़ल्ला मंडी और राजेपुर में तो जुए का कारोबार भी संचालित होने लगा।इस दौरान कुछ ऐसे लोग भी उसके साथ जुड़ते गए जिन्होंने उसके धंधे को आगे बढ़ाने में बढ़-चढ़कर उसका योगदान किया हालांकि इसमें उन्होंने कितनी मलाई चाटी यह तो वही जाने।सट्टे का अवैध काला कारोबार परवान चढ़ा तो यहां भोले भाले नौजवानों को प्रलोभन देकर उन्हें अपना शिकार बनाया जाने लगा और फिर युवाओ को बर्बादी के रास्ते पर धकेला जाने लगा।
आपको बता दें कि जुएं और सट्टे में हारकर,नाबालिग बच्चे,युवा बेरोजगार और दिहाड़ी मजदूर अपना भविष्य बर्बाद कर लेते हैं,जिसका अंजाम युवा पीढ़ी और गरीबों के परिवार को भुगतना पड़ता है लेकिन सट्टेबाज माफिया को तो सिर्फ रुपयों से मतलब है।हद तो इस बात की है कि जिम्मेदार पुलिस भी महज दिखावे की कार्रवाई करती है।पुलिस की हालिया 4 युवाओं पर 13 जी की कार्रवाई तो यही साबित करती है जबकि मामा और उसके खास गुर्गों पर पुलिस अभी भी मेहरबान है और मामा का काला कारोबार बदस्तूर जारी है।बस सिर्फ काम करने का तरीका बदला है,पहले पर्ची से सट्टा मटका लगाया जाता था और अब पर्ची की फोटो खींचकर व्हाट्सएप से भेजी जाती है।लिहाजा अब तकनीक के इस युग में व्हाट्सएप सट्टेबाजों का नया हथियार बन गया है।
ऐसे में शहर की जनता की योगी सरकार से मांग है कि गैंग चलाकर लोगों के खून पसीने की कमाई को लूटने वाले सट्टा माफिया कौशल मामा के खिलाफ गैंगस्टर की कार्रवाई की जाए और फिर उसके द्वारा परिवार के लोगों के नाम अवैध कार्यों से अर्जित की गई संपत्तियों को चिन्हित कर कुर्क किया जाए,जिससे सट्टा माफिया पर कार्रवाई नजीर बने और आम लोगों को सट्टा माफिया के मकड़जाल से मुक्ति मिल सके।हालांकि पुलिस सामाजिक हित मे लोगों की मांग पर कितना अमल करेगी यह तो आने वाला वक्त ही बताएगा।फिलहाल लोगों को पुलिस से ऐसी ही बड़ी कार्रवाई की उम्मीद है।