पाली/हरदोई। करीब बीस साल पहले क्षेत्र के खनिकलाजहानपुर गाँव मे एक पूर्व सैनिक ने गांव के ही कुछ शिक्षित युवाओं को इकट्ठा कर रामलीला मंचन के कार्यक्रम की जो एक आदर्श नींव डाली थी, 20 सालों से चली आ रही रामलीला की प्रथा के टूट जाने से ग्रामीणों में काफी रोष व्याप्त है।
पाली थाना क्षेत्र के खानिकलाजहानपुर गांव में बीस वर्ष पूर्व 2001 में पूर्व सैनिक राम शंकर अग्निहोत्री ने मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्रीराम की रामलीला के मंचन की नींव अपने साथियों के साथ मिलकर डाली थी। सीमित संसाधनों के साथ महीनों के कठिन परिश्रम के बाद गांव के युवाओं को रामलीला के मंचन कार्यक्रम के लिए तैयार किया, उसके बाद गांव के साथ क्षेत्र के कुछ गणमान्य लोगों के सहयोग से शारदीय नवरात्र के समय रामलीला मंचन के कार्यक्रम की आधारशिला रखी गई, कुछ ही वर्षो के अंदर इस गांव की रामलीला की ख्याति बढ़ने लगी और धीरे धीरे क्षेत्र के हजारो लोग रामलीला देखने के लिए खानिकलजहानपुर गांव की ओर रुख करने लगे थे। इस गांव का रामलीला धीरे धीरे पूरी सवायजपुर तहसील में सुविख्यात व प्रसिद्ध हो गया, लेकिन समय ने कुछ ऐसी करवट ली कि दशकों से चली आ रही रामलीला की प्रथा ओछी राजनीति की भेंट चढ़ गई, जिसके कारण गांव के साथ साथ पूरे क्षेत्र के लोगो के चहरे पर मायूसी छाई हुई है।
राजेश मिश्रा ने बताया कि वो रामलीला में परशुराम का अभिनय करते थे,
रामलीला में श्रवण कुमार का अभिनय करने वाले हरदयाल राजपूत,
रामलीला के संस्थापक राम शंकर अग्निहोत्री पूर्व सैनिक ने बताया कि उन्होंने 20 साल पहले गांव में रामलीला की शुरुआत की थी ये सोचकर कि इसी बहाने लोगो मे जागरूकता आएगी, गांव की प्रतिभाएं गांव का नाम रोशन करेगी, क्षेत्र में गांव की एक अलग पहचान बनेगी, लेकिन 20 वर्ष बाद रामलीला का आयोजन अचानक दे बंद हो जाना काफी दुखदाई है।