हरपालपुर/ हरदोई।हरदोई और फर्रुखाबाद को जोड़ने वाले बड़ागांव-अर्जुनपुर रामगंगा घाट पर नदी में अपनों के डूबने के हादसे कटरी की पीढ़ियों को सदियों तक याद रहेंगे। यह बात 1975 की कार्तिक पूर्णिमा पर नाव में डूबे 90 गंगाश्रद्धालुओं के डूबने की स्मृति में रामगंगा तट पर शान्ति हवन में सैकड़ों ग्रामीणों के साथ आहुतियां डालकर श्रद्धांजलि देते हुए पंचनद विकास संघर्ष समिति के संयोजक अवनिकांत बाजपेयी ने कहीं।
ज्ञात हो कि आज से 46 साल पूर्व कार्तिक पूर्णिमा पर गंगा-स्नान जाने वाले करीब 90 कटरी वासी भरी नाव नदी में डूब गयी थी तो 2012 की माघ की मौनी अमावस्या पर गंगा स्नानार्थियों भरी ट्राली-ट्रैक्टर फिसलने से मां-बेटे डूब गये और दर्जनों घायलों को राहगीरों ने नदी से निकाला।शांति-यज्ञ में आहुतियां देते हुए बड़ागांव,अर्जुनपुर सहित आसपास के ग्रामीणों ने कहा,हरदोई फर्रुखाबाद कटरी का सीधा मार्ग होने से हजारों राहगीरों का प्रतिदिन आवागमन होता है। जिससे पैन्टून पुल से राहगीरों के फिसलने या नाव पलटने के हादसे आए दिन होते रहते हैं। घाट पर पक्के पुल के इंतजार और संघर्ष में कई पीढ़ियां मर खप गयीं। पर सरकारों और जिम्मेदारों की अनदेखी की कीमत पंचनद कटरी और यहां के वाशिंदों सहित घाट पर उतरने वाले जिले से लेकर फर्रुखाबाद,एटा,बदायूं, कन्नौज,मैनपुरी के लोग नदी में डूबकर और चुटहिल होकर चुकाते रहे हैं। कहा, पक्का पुल बनाने का ढिंढोरा तो जोर शोर से पीटा जा रहा है। पर शासन-प्रशासन की पुल निर्माण में हीला-हवाली और देरी होने से लगता है कि कटरी वासियों को घाट पर अभी और कुर्बानियां देनी होंगी।
शान्ति यज्ञ में आदि ग्रामीणों ने आहुतियां देकर जलसमाधिस्थ हुए गंगास्नानार्थियों को श्रद्धांजलि अर्पित की।