विचित्र बुखार ने पूर्व प्रधान अज़ीज़ अहमद सहित तीन को मौत की नींद सुलाया

बिलग्राम हरदोई ।। इन दिनों बिलग्राम क्षेत्र में विचित्र बुखार ने ऐसे पैर पसार लिए हैं कि हर रोज कोई न कोई इस दुनिया को अलविदा कह रहा है। रोज हो रही मौतों से क्षेत्र में दहशत का माहौल है।

मंगलवार को बिलग्राम क्षेत्र के अंतर्गत ग्राम जरौलीशेरपुर में एक ही दिन में तीन लोगों को सुपुर्द ए ख़ाक किया गया जिसमें उसी गांव के पूर्व प्रधान अजीज अहमद भी शामिल हैं। बताया गया है कि अजीज अहमद को रविवार शाम हल्का बुखार आया जिसके बाद वो चिकित्सक के पास जाकर दवा ले आये लेकिन बुखार से कोई राहत नहीं मिली जब बुखार नहीं उतरा तो उन्हें जिले के रानी साहिब हास्पिटल में भर्ती कराया गया, जहां जांच में सामने आया कि पूर्व प्रधान की प्लेटलेट्स डाउन हैं जिनकी तादात 35000 बचीं है डाक्टरों ने कोशिश की लेकिन प्लेटलेट्स डाउन ही रहीं, परिजनों को जब कोई सुधार नजर नहीं आया तो उन्होंने हरदोई में ही बालाजी हास्पिटल में एडमिट कराया जहां दोबारा जांच हुईं तो पता चला कि प्लेटलेट्स 20000 हजार के करीब ही रह गयीं हैं घरवाले घबराये तो उन्होंने डाक्टरों से संपर्क किया, जिसमें बताया गया कि प्लेटलेट्स जल्दी कवर हो जायेगीं लेकिन देर रात तक ऐसा नहीं हुआ और घड़ी में जैसे ही दो बजे आपकी रूह परवाज़ कर गयी जैसे ही उनके निधन की खबर इलाके में फैली सब हक्का बक्का रह गये किसी को यकीन नहीं हुआ की अज़ीज़ अहमद ने इस दुनिया को अलविदा कह दिया लेकिन देर सवेर सबको यकीन हो गया की वो अब इस दुनिया में नहीं रहे मंगलवार को आप का जनाज़ा जैसे ही आप के पैतृक गांव जरौलीशेरपुर पहुंचा तो आपको देखने के लिए काफ़ी भीड़ उमड़ पड़ी जिसके बाद दोपहर दो बजे अज़ीज़ अहमद को गांव के ही कब्रिस्तान में दफ्न कर दिया गया। अज़ीज़ अहमद अपने पीछे तीन पुत्र कय्यूम, मुत्तलिब, सालिम, और पांच पुत्री छोड़ कर चले गए हैं। आपकी उम्र के बारे बताया गया कि आप 55 वर्ष के थे आपने राजनीत की शुरुआत 1999 से की आप सबसे पहले बीडीसी का चुनाव लड़े और जीते उसके बाद आप लगातार तीन बार ग्राम प्रधान भी रहे आपने एमआईएम से विधानसभा का चुनाव भी लड़ा था लेकिन उसमें कामयाबी नहीं मिली अभी हाल ही में आप प्रधानी का चुनाव भी हार गये थे। लोगों ने बताया कि आप ज्यादा पढ़े लिखे नहीं थे लेकिन शिक्षित इंसान की कद्र करना खूब जानते थे आपने कोरोना काल में गांव की जनता को भूखा नहीं सोने दिया, कोरोना की पहली लहर के दौरान जब एक खास समुदाय के लोगों को कोरोना फैलाने के शक में पकड़कर क्वाराटाइन किया जा रहा था तो उस समय भी उनकी देखभाल और उनके खाने पीने का बखूबी इंतजाम किया था।

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